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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रथम गणेश पद गायब, देबता मनाएब हे
ललना हे, जब मोर होइहैं बलकबा, मोहर लुटाएब हे
दोसर मास जब आयल, चित फरिआएल हे
ललना हे, पानक बीड़ा ने सोहाय, मोन अकुलाएत हे
तेसर मास जब आयल, ननदी दान मांगू हे
भउजी हे, हम लेब हाथकेँ कंगनमा, कि सोइरी निपाओनि हे
छठम आओर सातम मास लग आयल हे
ललना हे, गोतनो करथि चौल, किए बबुा सुताओल हे
सातम गेल मास, आठम आएल हे
ललना हे, आठो अंग भारी भय गेल हे
नवम मास जब आयल, होरिला जनम लेल हे
ललना हे, बाजऽ लागल आनन्द-बधैया, महलिया गूंजय सोहर हे