भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घरबा जे नीपलौं असोरबा ओलतिया धयने ठाढ़ भेलौं रे / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= संस...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:10, 30 जून 2014 के समय का अवतरण

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

घरबा जे नीपलौं असोरबा ओलतिया धयने ठाढ़ भेलौं रे
ललना रे ताकथि नैहर के बाट केओ नहि आबथि रे
सासु मोर सुतली भानस घर ननदि कोबर घर रे
ललना रे हुनि प्रभु धयलनि असोरबा कनिक हँसि बाजू रे
हँसैत खेलैत दिन बीतल सगर रैनि बीतल रे
धनी हे चलू लाली रे पलंगिया कनिक हँसि बाजब रे
ललना रे पियबा तऽ भेल जीवकाल आब जीव जायत रे
सुमिरहु हे धनि ओ दिन जाहि दिन गओना भेल रे
धनि हे सेर सेर लड्डुआ खोआओल केओ नहि जानल रे
धनी हे आजु पड़ल जीवकाल कि सब लोक जानल रे
सुमिरहु हे पिया ओ दिन जाहि दिन गओना कएल रे
पिया हे लाली पलंग खुस कएल नवजीव पाओल रे
एहि दरद सँ उबरल इसर किरिया खाओल रे
ललना रे फेरू ने करब एहन काज पलंग लग जाएब रे
एक मास बीतल दोसर मास वेदन ओ बिसरल रे
ललना रे इहो थिक नगर बेबहार इहो कोना छूटत रे