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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

यमुना तीर, कुंज वन, ततऽ कृष्ण बसै छथि
गोप कन्या दधि मांगथि, चलि ने सकै छथि
ओहि ठाम बालक भाइ, चेहों-चेहों करै छथि
आलरि-झालरि कांधे कामरु माथे बीयनी
दोसर योगिनियां तोहें पितिया सासु हे
आबे बाबू पड़ल योगिनियां के वश हे