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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
स्वर्ण सिनूर दुलहा धीरे सऽ उठाउ हे दशरथ जी के बबुआ
धीरे धीरे लली के लगाउ हे दशरथ जी के बबुआ
लाज ने करू दुलहा हृदय के सम्हारू हे दशरथ जी के बबुआ
जल्दी सँ करू सिन्दूरदान हे दशरथ जी के बबुआ
कँपैत कर के करू स्थिर हे दशरथ जी के बबुआ
लली के हृदय लगाउ हे दशरथ जी के बबुआ