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"मरयोड़ी आत्मा रै आगै / ओम पुरोहित कागद" के अवतरणों में अंतर

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औज्यूं पीपळ री छावं है
+
आभै मायं बणता
मघली-जगली नांव है
+
धूंअै रा माडणां
बूक हथाळयां ठांव है
+
भांत भांत रा
हां जी, ओ म्हारो गाांव है
+
मिनख री देह सा
जद दिन बिसूंजै
+
रूई रा फोआ सा
जगै दिया
+
और न जाणै के के।
चांद रै चानणै
+
 
टींगर खेलै दड़ी गेड़िया।
+
अै निरा चितराम नी है
बिजली रै खम्भां
+
अर ना चिमन्यां रो
भैंस बंधै
+
कळूटो अर भूरो धूंओ।
तारां री बणै तण्यां
+
 
बिजली रा खाली नांव है
+
आप हांसो
हां ती, ओ म्हारो गांव है
+
पण इण बाबत
करसाँ बोवै,
+
कीं न कीं जाणो।
साऊ खावै
+
 
बापू रै नारां रो
+
म्है बताऊं !
गांव मांय खाली नांव है
+
पण क्यूं बताऊं
बिजली कड़कै
+
तद थां खनै भी
ठंड पड़ै
+
म्हां जैड़ी आंख है
करसां कसै खेत मांय
+
म्हां जेड़ो मांथो
खांता मांय जमीदार रो नांव है
+
अर उण बीचै दिमाग है
हां जी ,ओ म्हारो गांव है
+
खुदो-खुद जाणो
अगूठां री नीं सूकै स्याई
+
क्यूं कै थां खनै भी
मघली जाई
+
जाणन रो
जगली परणाई
+
सांगोपांग अधिकार है
मां गै‘णा रख रिपिया ल्याई
+
आप जाणो हो
साहूकार री बै‘या मांय
+
पण जाण‘र
म्हारी सगळी पीढी रो नांव है
+
अजाण बण्योड़ा
गांव सगळो पड्यो अडाणै
+
क्यूं कै थे
बैंका रो खाली नांव है
+
सुविधाभोगी हो
हां जी ओ म्हारो गांव है
+
अर सुविधाभोगी
क-मानै करजो
+
सुविधा रै उपज रो
ख-खेता खसणो
+
कहानी जाणन री
ग-गरीबी
+
कदै‘ई कोसिस नीं करै
घ- घरहीन
+
थे भी नीं करी।
इस्सी बारखड़ी
+
 
गांव री चौपाळ है
+
आप ओ भी जाणो हो
पांच स्यूं पच्चीस रा टींगर
+
कै मीलां मांय
खेता-रो‘यां चरावै लरड़ी
+
भूख भरबतै मानखै रै
माठर फिरै सै‘र में
+
काळजै मांय लाग्योड़ी लाय
गांव मांय स्कूल रो खाली नांव है
+
ओज्यूं धुधकै
हां जी ओ म्हारो गांव है।
+
अर उण री धूओं
अणखावणा
+
मीलां री चिमन्यां
अणखावणा
+
आभै मांय पटकै।
बणै नेता बोटा रै ताण
+
आभो थारो है सा !
ठग ठाकर है म्हारा
+
थारै मनां रा
गेड़ी रै ताण।
+
चितराम कौरै
अडाणां री कहानी कै
+
इणी खातर आप
खेत दबाणां री बाणी दै
+
मनभांवता मांडणा देखो ।
घेंटी मोस बोट नखावै
+
पण आप नै
जीत परा फेर ढोल बजावै
+
थोड़ो सावचेत रे‘वणो है
लोक राज रो खाली नांव है
+
क्यूं कै मजूर रै काळजै मांय
हां जी ओ म्हारो गांव है
+
धधकतो धूंओ
अंटी ढीली
+
कदै भी लाय बण सकै
खेत पाधरो
+
बस
अंटी काठी
+
हवा लावण री देर है।
खेत धोरां पर
+
आप ओ भो जाणो हो
अळगो-आंतरो
+
अर जे नीं भी जाणो
मंतरी री सुपारसां
+
तो भी जाणो
खेत मिलै सांतरो।
+
कै जिण भांत धूंअै रो
खैत खतौन्यां
+
चितराम बणै
हक हकूकतां
+
उणी भांत
जमीदार रै हाथ मांय
+
लपकती लांय रो भी
गांव बापड़ो फिरै गूंग मांय
+
चितराम बणै
चारू कूटा पटवारी रो दांव है
+
पण
हां जी, ओ म्हारो गांव है।
+
धूंअै रै अर लांय रै चितराम मांय
 +
फरत फगत इतो है
 +
कै धूंअै रा चितराम
 +
बणै अर मिट ज्यावै
 +
पण लाय रा चितराम
 +
भख भी लेया करै
 +
भख! भख उणा रा
 +
जकां रा नाम
 +
मजूर रै काळजै मांय मंड्योड़ी
 +
हिटलिस्ट मांय हुवै ।
 +
अर मालकां !
 +
आप रो नाम
 +
उण हिटलिस्ट मांय
 +
सब स्यूं सिरै हुवै।
 +
 
 +
इण खातर
 +
चेतो मालकां !
 +
छांटो द्यो काळजां  मांय
 +
धधकती लाय उपर
 +
हाथा जोड़ी करो
 +
थारै इरादा री
 +
फूटरी पांड़ी बाधण आळी
 +
मीला री फंुकारती
 +
चितन्या नै देख
 +
करड़ावण धारण आळी
 +
थारी मर्योड़ी आत्मा रै आग
 +
अर कै‘वो उण नै
 +
कै बा जागै।
 +
नीं तो मालका
 +
उण हांसी नै
 +
कोई नी रोकैला
 +
जकी हंसी थारै काळजां मांय
 +
पड़तै धू‘अैनै देख
 +
सम हांसैला।
 
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13:13, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

आभै मायं बणता
धूंअै रा माडणां
भांत भांत रा
मिनख री देह सा
रूई रा फोआ सा
और न जाणै के के।

अै निरा चितराम नी है
अर ना चिमन्यां रो
कळूटो अर भूरो धूंओ।

आप हांसो
पण इण बाबत
कीं न कीं जाणो।

म्है बताऊं !
पण क्यूं बताऊं
तद थां खनै भी
म्हां जैड़ी आंख है
म्हां जेड़ो मांथो
अर उण बीचै दिमाग है
खुदो-खुद जाणो
क्यूं कै थां खनै भी
जाणन रो
सांगोपांग अधिकार है
आप जाणो हो
पण जाण‘र
अजाण बण्योड़ा
क्यूं कै थे
सुविधाभोगी हो
अर सुविधाभोगी
सुविधा रै उपज रो
कहानी जाणन री
कदै‘ई कोसिस नीं करै
थे भी नीं करी।

आप ओ भी जाणो हो
कै मीलां मांय
भूख भरबतै मानखै रै
काळजै मांय लाग्योड़ी लाय
ओज्यूं धुधकै
अर उण री धूओं
मीलां री चिमन्यां
आभै मांय पटकै।
आभो थारो है सा !
थारै मनां रा
चितराम कौरै
इणी खातर आप
मनभांवता मांडणा देखो ।
पण आप नै
थोड़ो सावचेत रे‘वणो है
क्यूं कै मजूर रै काळजै मांय
धधकतो धूंओ
कदै भी लाय बण सकै
बस
हवा लावण री देर है।
आप ओ भो जाणो हो
अर जे नीं भी जाणो
तो भी जाणो
कै जिण भांत धूंअै रो
चितराम बणै
उणी भांत
लपकती लांय रो भी
चितराम बणै
पण
धूंअै रै अर लांय रै चितराम मांय
फरत फगत इतो है
कै धूंअै रा चितराम
बणै अर मिट ज्यावै
पण लाय रा चितराम
भख भी लेया करै
भख! भख उणा रा
जकां रा नाम
मजूर रै काळजै मांय मंड्योड़ी
हिटलिस्ट मांय हुवै ।
अर मालकां !
आप रो नाम
उण हिटलिस्ट मांय
सब स्यूं सिरै हुवै।

इण खातर
चेतो मालकां !
छांटो द्यो काळजां मांय
धधकती लाय उपर
हाथा जोड़ी करो
थारै इरादा री
फूटरी पांड़ी बाधण आळी
मीला री फंुकारती
चितन्या नै देख
करड़ावण धारण आळी
थारी मर्योड़ी आत्मा रै आग
अर कै‘वो उण नै
कै बा जागै।
नीं तो मालका
उण हांसी नै
कोई नी रोकैला
जकी हंसी थारै काळजां मांय
पड़तै धू‘अैनै देख
सम हांसैला।