भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:16, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर, चारू कात लागल केबाड़ हे
भल कोहबर बनी
कोहबर सूतऽ गेला दुलहा से फल्लां दुलहा, कनियां सुहबे गूथल
फुलहार हे, भल कोहबर बनी
हार गूंथइते सुहबे भरि आयल जंघिया, गेली कनियां अलसाइ हे
एही ठाम छै हे प्रभु हार हमर, पहिरि कय दीअ शृंगार हे
भल कोहबर बनी