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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मुट्ठी खोलहु ने जानथि जमइया हे
सीता जी के हाथ
हाथ मे फूल अक्षत छनि हे
कर जोड़ि मांगथि जमइया हे
सीता जी के हाथ
मुट्ठी खोलहु ने जानथि जमइया हे
सीता जी के हाथ
हाथमे छनि जनौ सुपारी हे
कर जोड़ि मांगथि जमइया हे
सीता जी के हाथ
हारि गेलाह रघुरइया हे
सीता जी के हाथ