भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पाहुन भोला भंगिया के / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:55, 2 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पाहुन भोला भंगिया के जुनि केओ पढ़ियनु गारी हे
शिव तन पर सँ सांप ससरि खसि खसत देत जीव मारी हे
ताकि केहन लएला मुनि नारद बूढ़ बरद असवारी हे
भूत पिशाच नगन-गण संगमे केहन बघम्बर धारी हे
कान कुण्डल गले रूद्रमाला भाल चन्द्र छवि न्यारी हे
डामरु धारी सभ भिखारी धथुर भांग अहारी हे
काशी ओ कैलाश बिहारी नाम हुनक त्रिपुरारी हे
पाहुन शिव त्रिभुवनपति जुनि गाउ अनट अचारी हे