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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माइ हे हमरहु जँ पहुँ तेजताह, फल बुझताह
माइ हे बान्हि देबनि बनिसार, अधीन भय रहताह
माइ हे चान सुरूज जकाँ उगताह, उगि झपताह
माइ हे नैन जोड़ल सिनेह, फलक नहि छोड़ताह
माइ हे नाव डोरी जकाँ घुमताह, घुमि अओताह
माइ हे मुकरी देबनि ऐंठि, देहरि धेने रहताह
माइ हे भनहि विद्यापति गाओल, फल पाओल
माइ हे गौरी केँ बढ़नु अहिबात, सुन्दर वर पाओल