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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
अपना मन के बड़ रे मनोरथ, धीया लए आस लगाइ जी
हमरो धिया के आस पुरबिहथि, खर्चा देब हम पठाइ जी
एकर निर्वाह हृदय बिच करिहथि, जुनि करिहथि विछोह जी
ससुर जमाय हँसिकऽ बजला, सरहोजि देलनि सुनाइ जी
पहुँ बिहुँसिकऽ तकलनि, सभ सखि नयन जुराइ जी