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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लिखहक पत्र बाबा भेजहक जनकपुर
दहक सजा बरिआत हे
किये मध्य राम किये मध्य लछुमन
किये मध्य राम किये मध्य लछुमन
किये मध्य भरतहि लाल हे
घोड़ा मध्य राम हाथी मध्य लछुमन
ऊँट मध्य भरतहि लाल हे
सोने छाड़ल छनि रामजी के घोड़बा
रूपे साजल लगाम हे
सभ बरिअतिया जनकपुर पहुँचल
लागल जनकजी दुआरि हे
अंगना बहारिते तोहें चेरिया खेलरिया
मोरा आगू सीता बखानु हे
हम कोना सीता बखानु राजा दशरथ
सीता बखानलहुँ ने जाय हे
सीता के सुरति देखि सुनि छपित होइ
रामहि रहला लोभाय हे