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"घर पछुअरबामे लौंग केर गछिया / मैथिली लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

घर पछुअरबामे लौंग केर गछिया
ताहि तर फल्लां दुलहा ठाढ़ हे
केओ अरेखनि केओ परेखनि
केओ पुछनि निज बात हे
माय अरेखनि बाबू परेखनि
काका पुछनि निज बात हे
किए तोरा आहे बाबू बाजन थोर भेल
किए भेल कम बरिआत हे
नहि मोरा आहे काका बाजन थोर भेल
नहि मोरा कम बरिआत हे
गंगाक ओहि पार बसथि बहिनियाँ
बहिनि के दीअ ने मंगाय हे
अओतीह बहिनियाँ छेकती मोर छुअरिया
पूरि जायत मन-अभिलास हे ....