भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इन्तज़ार / कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=पंजाबी के कवि |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / पंजाबी के ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKAnooditRachna | {{KKAnooditRachna | ||
|रचनाकार=पंजाबी के कवि | |रचनाकार=पंजाबी के कवि | ||
− | |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / | + | |संग्रह=आज की पंजाबी कविता / सम्पादक-सुभाष नीरव |
}} | }} | ||
[[Category:पंजाबी भाषा]] | [[Category:पंजाबी भाषा]] |
11:26, 25 मई 2008 के समय का अवतरण
|
बड़ी देर से मौसम
एक जैसा है
न यह बहार बनता है
न पतझर
काश! यह मौसम मेरे मन के
मौसम के बराबर हो जाए
एक मुद्दत से माहौल में
बड़ा शोर मचा हुआ है
न यह चुप में बदलता है
और न ही संगीत में
काश! यह सरगम बन जाए
सुरताल में बंध जाए
बरसों से यह
पत्थर का बुत बना हुआ है
काश! यह रब्ब बन जाए
ताकि मैं उसे पूज सकूँ
या फिर जीता-जागता
इन्सान
ताकि मैं उससे बातें कर सकूँ।