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06:47, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
कुण भरै भेद
-छेद
घणा हूग्या भाखा रै पल्लै मांय
काणो पीसो भी बच्यो नीं गल्लै मांय
अैड़ी कंगाली है
अर सबद है
-कैद!