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07:02, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
कविता जद पूरी हूज्यै
उण बगत सबद बावड़ज्यै पाछा
-अकास मांय
आंख्यां भलांई गडायां राखो परकास मांय
आपनैं सबद नीं लाधसी
-अैसास मांय।