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07:06, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
क्यां तांई बण्यो सबद
-क्यां तांई स्रिस्टी
सोचूं जणै मन मांय गमी हूज्यै
म्हारी आंख्यां मांय नमी हूज्यै
अेक टोपो बिरम रो
रची
-आ गिरस्थी
जकै मांय चौरासी कुरळावै है
फगत सबद ई तोड़ै
-आ गिरफ्ती!