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07:07, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
टाबरी किण विध पाळसी मां
गा तो व्हीर हुयगी भाखा री विदेस
खड़ी है फारम हाऊसां मांय
-करै ऐश।
भूल-भालगी बा मांड वाळो देस
जठै अजै भी सबद कळपै है
पण कुण बीं नैं हळफै है
अबकै भाखा रै अंधारै ऊभी
घणी साळसी मां!