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जिस दिन अर्जुन ने चिडिया की आँख पर निशाना लगाया थाउसी दिन हिंसा की शुरूआत हमें भले ही कुछ न मिला हो गई थी ।द्रौपदी को द्यूत क्रीड़ा में हार जाने के बाद लेकिन यह तय होगया था कि स्त्री को दाँव पर लगाया जा सकता जीवन तो मिला है चीरहरण को चुपचाप देखनेवाले धर्माचार्य और बुद्धिजीवीजिसके लिए मैं अपने माता-पिता का आभारी हूँइतिहास उनके नाते मै इस दुनिया में अपनी भूमिका संदिग्ध कर चुके थे ।आयाउनकी दी हुई आँखों से देखी यह स्त्री अपमान की पहली घटना थी ।दुनियाउन्होने ज़मीन पर चलने के लिए दिए पाँवधृतराष्ट्र किसी राजा हाथों के बारे में उन्होने बताया कि यह शरीर का नाम नही एक अन्धे नायकका नाम सबसे ज़रूरी अंग है जिसने पुत्रमोह जिससे तुम बदल सकतेहो जीवन क्या क्या है इस दुनिया में युद्ध -- पहाड़, नदियाँ आकाश परिन्दे और समुन्दर बच्चे इस दुनिया को जन्म दिया थाकरते है गुलजारयुद्ध के बाद बचते इस दुनिया में रहती है शव विधवायें अनाथ बच्चे औरस्त्रियाँइतिहास के माथें पर वे कुछ न कुछ कलंकरचती रहती हैंअन्त वे अपने गर्भ में विजेताओं को बर्फ़ मे गलने छिपाए रहती है आदमी के लिएबीजअभिशप्त होना पडता है ।वक्ष में दूध के झरनेईश्वर हैं हमारे माता-पितावे हमे गढ़ते हैंहमारे भीतर करते हैं प्राण-प्रतिष्ठा
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