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"सिस्टम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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जिसे हम डोनेट करते हैं अपनी मर्जी से | जिसे हम डोनेट करते हैं अपनी मर्जी से | ||
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हर नया विषाणु इसके प्रतिरक्षा तंत्र को | हर नया विषाणु इसके प्रतिरक्षा तंत्र को | ||
और मजबूत करता है | और मजबूत करता है |
17:10, 7 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
मच्छर आवाज़ उठाता है
सिस्टम ताली बजाकर मार देता है
और मीडिया को दिखाता है भूखे मच्छर का खून
अपना खून कहकर
मच्छर बंदूक उठाते हैं
सिस्टम मलेरिया-मलेरिया चिल्लाता है
और सारे घर में जहर फैला देता है
अंग बागी हो जाते हैं
सिस्टम सड़न पैदा होने का डर दिखलाता है
बागी अंग काटकर जला दिए जाते हैं
उनकी जगह तुरंत उग आते हैं नये अंग
सिस्टम के पास नहीं है खून बनाने वाली मज्जा
जिंदा रहने के लिए वो पीता है खून
जिसे हम डोनेट करते हैं अपनी मर्जी से
हर बीमारी की दवा है सिस्टम के पास
हर नया विषाणु इसके प्रतिरक्षा तंत्र को
और मजबूत करता है
सिस्टम अजेय है
सिस्टम सारे विश्व पर राज करता है
क्योंकि ये पैदा हुआ था
दुनिया जीतने वाली जाति के
सबसे तेज और सबसे कमीने दिमागों में