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"यह सुगन्ध मेरी है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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नदी के किनारे
पुकार एक
मैंने सुनी
कल शाम
यों उस पुकार में
किसी के लिए
सम्बोधन नहीं था
फिर भी
मुझे जान पड़ा
जाने क्यों
यह पुकार मेरी है
तो भी मैं बोला नहीं ।
सूने राजमार्ग पर
परस मिला मुझे
ज़रा गरमीला
आधी रात
यों उस परस में
किसी के लिए
अनुरोध नहीं था
फिर भी
मुझे जान पड़ा
जाने क्यों
यह परस मेरा है
तो भी मैं चौंका नहीं ।
बौरे आम के तले
सुगन्ध मिली
मुझे आज
प्रात:काल
यों उस सुगन्ध में
किसी के लिए
आमंत्रण नहीं था
फिर भी
मुझे जान पड़ा
जाने क्यों
यह सुगन्ध मेरी है
तो भी मैं खिला नहीं ।