भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में / ‘अना’ क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अना' क़ासमी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> दि...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
|||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई, | यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई, | ||
लड़कियों ने पाँव डाले झील में । | लड़कियों ने पाँव डाले झील में । | ||
+ | |||
+ | यार कह कर मेरी सिगरेट खींच ली | ||
+ | किसक़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील मैं | ||
उम्र अदाकारी में सारी कट गई, | उम्र अदाकारी में सारी कट गई, |
17:11, 14 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में ।
वो ज़िले में और हम तहसील में ।
उसकी आराइश<ref>शृंगार</ref> की क़ीमत कैसे दूँ,
दिल को तोला नाक की इक कील में ।
कुछ रहीने मय<ref>शराब की अहसानमंद</ref> नहीं मस्ते ख़राम,
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
लड़कियों ने पाँव डाले झील में ।
यार कह कर मेरी सिगरेट खींच ली
किसक़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील मैं
उम्र अदाकारी में सारी कट गई,
इक ज़रा से झूठ की तावील<ref>बात घुमाना</ref> में ।
आप कहकर देखिएगा तो हुज़ूर,
सर है ह़ाज़िर हुक्म की तामील में ।
सैकड़ों ग़ज़लें मुकम्मल हो गईं,
इक अधूरे शेर की तकमील<ref>पूरा करने की कोशिश</ref> में ।
शब्दार्थ
<references/>