भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छांगू झील / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=काल को भी नहीं पता / सुधीर सक्सेन...)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:10, 27 दिसम्बर 2007 के समय का अवतरण

भोपाल-ताल के भाग्य में है

भोज की बेटी

और भोपाल की पनिहारिन

होने का गर्व


चिलका के भाग्य में है

सैलानी पंछियों का आव्रजन

और उनकी सुरम्य क्रीड़ा का मोद


नीरव घना के भाग्य में है

पामीर के पार से आए

खगों का कलरव-कोष


साम्भर के भाग्य में है

स्वाद रचने का अनिर्वच-सन्तोष,


मगर दूर

हिमालय की गोद में बसी

छांगू के भाग्य में है

हर साल पहाड़ों के दर्द से जमने

और फिर आँसुओं की तरह पिघलने का सुख ।


न जाने

छांगू

मानुषी है

या झील ?