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"देह / अशोक कुमार शुक्ला" के अवतरणों में अंतर

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देह एक बूंद ओस की नमी
 
देह एक बूंद ओस की नमी
......पाकर ठंडाना चाहते है सब
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......पाकर ठंडाना चाहते है सब
देह एक कोयल की कूक
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देह एक कोयल की कूक
......सुनना चाहते हैं सब
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......सुनना चाहते हैं सब
देह एक आवारा बादल
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देह एक आवारा बादल
......छांह पाना चाहते हैं सब
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......छांह पाना चाहते हैं सब
देह एक तपता सूरज
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देह एक तपता सूरज
......झुलसते हैं सब
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......झुलसते हैं सब
देह एक क्षितिज
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देह एक क्षितिज
.....लांधना चाहते हैं सब
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.....लांधना चाहते हैं सब
देह एक मरीचिका
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देह एक मरीचिका
......भटकते हैं सब
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......भटकते हैं सब
देह ऐक विचार
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देह ऐक विचार
.......पढना चाहते हैं सब
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.......पढना चाहते हैं सब
देह ऐक सम्मान
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देह ऐक सम्मान
.......पाना चाहते हैं सब
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.......पाना चाहते हैं सब
देह एक वियावान
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देह एक वियावान
.......भटकना चाहते हैं सब
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.......भटकना चाहते हैं सब
देह एक रात
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देह एक रात
......जीना चाहते हैं सब
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......जीना चाहते हैं सब
और
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और
देह ऐक दवानल
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देह ऐक दवानल
......फंस कर दम तोडते है सब
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......फंस कर दम तोडते है सब

18:53, 27 जुलाई 2014 का अवतरण

देह एक बूंद ओस की नमी ......पाकर ठंडाना चाहते है सब देह एक कोयल की कूक ......सुनना चाहते हैं सब देह एक आवारा बादल ......छांह पाना चाहते हैं सब देह एक तपता सूरज ......झुलसते हैं सब देह एक क्षितिज .....लांधना चाहते हैं सब देह एक मरीचिका ......भटकते हैं सब देह ऐक विचार .......पढना चाहते हैं सब देह ऐक सम्मान .......पाना चाहते हैं सब देह एक वियावान .......भटकना चाहते हैं सब देह एक रात ......जीना चाहते हैं सब और देह ऐक दवानल ......फंस कर दम तोडते है सब