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"मज़दूर बच्चों का गीत / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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उसकी इज़्ज़त होती घर-घर
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मेहनतकश होकर उभरेंगे ।
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इतनी तेज़ रोशनी देंगे ।
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माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।
 
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11:12, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।
अपने हाथों की मेहनत से
अपने-अपने पेट भरेंगे ।।

जॊ जीता मेहनत के बल पर
उसकी इज़्ज़त होती घर-घर
माँ ! तेरी सौगन्ध हमें, हम
मेहनतकश होकर उभरेंगे ।

माँ ! हन तो मज़दूर बनेंगे ।।

इस युग में मेहनत का परचम
उत्तर-दक्खिन, पूरब-पच्छिम
लहराएगा निर्भय होकर
ऐसे-ऐसे काम करेंगे ।

माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।

जिनको मेहनत से नफ़रत है
उन पर लानत है, लानत है
हम इस युग के बने नमूने
इतनी तेज़ रोशनी देंगे ।

माँ ! हम तो मज़दूर बनेंगे ।।