भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अन्धकार का बबूल / महेश उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश उपाध्याय |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:39, 21 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

आस-पास झर गया
गुड़हल का फूल
बींध गया देह
अन्धकार का बबूल

एक भीड़ सन्नाटा
गन्धहीन मन
पानी का डूबा-सा
लग रहा बदन

आँखों में कसक रही
धूल सिर्फ़ धूल ।