भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"समय के हाशिए / महेश उपाध्याय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश उपाध्याय |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
कहाँ तक झेलें समय के हाशिए | कहाँ तक झेलें समय के हाशिए | ||
− | पेट | + | पेट की ख़ातिर हुए मजबूर |
ख़ून छोड़ा, हो गए मज़दूर | ख़ून छोड़ा, हो गए मज़दूर | ||
14:16, 22 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
दिन उगा
कपड़े पहनकर चल दिए
कहाँ तक झेलें समय के हाशिए
पेट की ख़ातिर हुए मजबूर
ख़ून छोड़ा, हो गए मज़दूर
चल पड़े लम्बी बहर के काफ़िए
चिट्ठियाँ लेकर चलें ज्यों डाकिए ।