"बेकली आए बेख़ुदी आए / रविकांत अनमोल" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह=टहलते-टहलत...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:59, 25 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
बेकली आए बेख़ुदी आए
मेरे हिस्से भी शायरी आए
दिल को रहती है जुस्तजू जिसकी
वो मिरे सामने कभी आए
जिस में हम ज़िन्दगी को जी पाएँ
कोई तो ऐसी ज़िन्दगी आए
देख कर उसका फूल-सा चिह्रा
मेरी बातों में ताज़गी आए
मुन्तज़िर देर से हैं हम उनके
कह गये थे कि हम अभी आए
दिल ने अपने लिए जो माँगी थी
तेरे हिस्से वो हर ख़ुशी आए
मेरी ग़ज़लों से रौशनी बिख़रे
मेरे गीतों से सरख़ुशी आए
शे`र कहने का फ़ायदा जब है
बात जब उनमें कुछ नई आए
कुछ तो आ जाए मेरे हिस्से में
वस्ल आ जाए हिज्र ही आए
मेरे नग़्मों में कुछ नज़र उनको
मेरे इस दिल की तश्नगी आए