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"पीठ कोरे पिता-9 / पीयूष दईया" के अवतरणों में अंतर
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जो नहीं है वह
जीने के लिए एक जगह बन जाती है जहां
वाणी शब्द नहीं देती
कलपती
हर सांस में
हमें।