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"पीठ कोरे पिता-20 / पीयूष दईया" के अवतरणों में अंतर

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16:29, 28 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

ओखली में सर दे कर यूं लौट
आया हूं
जैसे चिता में पिता

वक्त। रक्त की तरह बह रहा है
मां।

आकाश से एक तारा तोड़ कर
अपनी आंखों में चमका लो
या माथे पर पोंछ दो

सिंदूर।