भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कामना / यतीन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यतीन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:12, 29 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

एक सुई चाहिए
हो सके तो एक दर्जी की उंगलियाँ भी
सौ-सौ चिथड़ों को जोड़कर
एक बड़ी सी कथरी बनाने के लिए

एक साबुन चाहिए
हो सके तो धोबिन की धुलाई का मर्म भी
बीसों घड़ों का पानी उलीचकर
कामनाओं का चीकट धोने-सुखाने के लिए

एक झोला चाहिए
हो सके तो कवियों का सन्ताप भी
अर्थ गँवा चुके ढेरों शब्दों को उठाकर
नयी राह की खोज में जाने के लिए

सुई साबुन पानी और कविता के अलावा
कुछ और भी चाहिए
शायद भाषा का झाग भी
मटमैले हो चुके ढाई अक्षर को चमकाकर
एक नया व्याकरण बनाने के लिए.