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"राह हारी मैं न हारा / शील" के अवतरणों में अंतर

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राह हारी मैं न हारा!
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थक गए पथ धूल के-
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उड़ते हुए रज-कण घनेरे।
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उड़ते हुए रज-कण घनेरे ।
 
पर न अब तक मिट सके हैं,
 
पर न अब तक मिट सके हैं,
वायु में पदचिह्न मेरे।
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वायु में पदचिह्न मेरे ।
जो प्रकृति के जन्म ही से ले चुके गति का सहारा!
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जो प्रकृति के जन्म ही से ले चुके गति का सहारा !
राह हारी मैं न हारा!
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राह हारी मैं न हारा !
  
 
स्वप्न मग्ना रात्रि सोई,
 
स्वप्न मग्ना रात्रि सोई,
 
दिवस संध्या के किनारे
 
दिवस संध्या के किनारे
थक गए वन-विहग, मृगतरु-
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थक गए वन-विहग, मृगतरु
थके सूरज-चाँद-तारे।
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थके सूरज-चाँद-तारे ।
पर न अब तक थका मेरे लक्ष्य का ध्रुव ध्येय तारा।
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पर न अब तक थका मेरे लक्ष्य का ध्रुव-ध्येय तारा ।
राह हारी मैं न हारा!
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राह हारी मैं न हारा !
 
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10:57, 30 अगस्त 2014 का अवतरण

राह हारी मैं न हारा !

थक गए पथ धूल के —
उड़ते हुए रज-कण घनेरे ।
पर न अब तक मिट सके हैं,
वायु में पदचिह्न मेरे ।
जो प्रकृति के जन्म ही से ले चुके गति का सहारा !
राह हारी मैं न हारा !

स्वप्न मग्ना रात्रि सोई,
दिवस संध्या के किनारे
थक गए वन-विहग, मृगतरु —
थके सूरज-चाँद-तारे ।
पर न अब तक थका मेरे लक्ष्य का ध्रुव-ध्येय तारा ।
राह हारी मैं न हारा !