भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तंत्र / राहुल राजेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राहुल राजेश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:23, 31 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

अभिनव प्रयोगों से गुजरता लोकतंत्र
और संभावनाओं से भरा मंच

कंपनियाँ आश्वस्त

वे कभी घाटे में नहीं रहेंगी
जब तक उनके साथ है तंत्र
और इतना बड़ा गणतंत्र.