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"संगति-3 / नीलोत्पल" के अवतरणों में अंतर

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11:37, 1 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

यथासंभव एक ही दिशा है चलने के लिए

मैं उन रास्तों पर भी हूं
जहां आवाज़ें सुनाई नहीं देतीं
अज्ञात चीज़ें ख़ुशबुओं से भरी हैं
तुम कहीं नहीं हो
वायलीन से बह रहे उदास संगीत की तरह
बहता हुआ
मैं सभी जगह

दिशाएं जानती हैं तुम नहीं
तुम अज्ञात चीज़ों की ख़ुशबुओं से भरी हो
मैं पहुंचता हूं, तुम तक नहीं
उन अज्ञात ख़ुशबुओं के करीब

तुम दिशाओं की अनंतता हो
और मेरा चरम भटकाव

आह, हमारे होने की यही संगति है