"लव जेहाद-1 / प्रियदर्शन" के अवतरणों में अंतर
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लड़के पिटेंगे और लड़कियां मारी जाएंगी
इस तरह संस्कृति की रक्षा की जाएगी, सभ्यता को बचाया जाएगा।
किसी ज़रूरी कर्तव्य की तरह अपनों के वध के बाद
भावुक अत्याचारी आंसू पोछेंगे
प्रेम पर पाबंदी नहीं होगी
लेकिन उसके सख्त नियम होंगे
जिनपर अमल का बीड़ा वे उठाएंगे
जिन्होंने कभी प्रेम नहीं किया।
जो बोलेंगे, उन्हें समझाया जाएगा
जो चुप रहेंगे उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा
जो प्रशंसा करेंगे उन्हें प्रेरित किया जाएगा
जो आलोचना करेंगे, उन्हें ख़ारिज और ख़त्म किया जाएगा।
धर्म के कुकर्म के बाद पैसे के बंटवारे को लेकर पीठ और पंठ का झगड़ा
राजा सुलझाएगा,
और पुरोहितों-पंडों, साधुओं की जयजयकार पाएगा
राष्ट्र कहीं नहीं होगा, लेकिन सबसे महान होगा
धर्म कहीं नहीं होगा, लेकिन हर जगह उसका गुणगान होगा
एक तानाशाह अपनी जेब में चने की तरह उदारता लिए चलेगा
और मंचों और सभाओं में थोड़ी-थोड़ी बांटा करेगा
उसके पीछे खड़े सभासद उच्चारेंगे अभय-अभय
और
पीछे अदृश्य भारी हवा की तरह टंगा रहेगा विराट भय।
इस पाखंडी-क्रूर समय में
प्रेम से ही आएगा,
वह विवेक, वह संवेदन, वह साहस,
जो संस्कृति के नाम पर प्रतिष्ठित की जा रही बर्बरता का प्रतिरोध रचेगा।