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"महानगर में लड़कियाँ / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां)
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20:53, 29 सितम्बर 2014 का अवतरण

दो लडकियां रिक्शे पर हैं


सिर पर पोनीटेल में

टंके हैं सफेद फूल


हल्का अंधेरा है और उन्हें निहारने में

बल पड रहा आंखों पर

लडकियों के दिखने का लहजा सुंदर है

पर रिबन के सफेद फूल

ज्यादा खि‍ल रहे हैं


जा चुका है रिक्शा

सिर टंके फूलों की गंध याद कर रहा हूं

याद कर रहा हूं उनका चेहरा

कि महुए की तीखी गंध डुबो लेती है अपने में

महानगर में अब भी तीखा है महुआ

अब भी सुंदर हैं लडकियां यहां ।

1995