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"प्‍यार में / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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(सियारों और पत्थरों को हमने हरियाली और प्रेम के गीत सुनाये)
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23:22, 29 सितम्बर 2014 का अवतरण

1

प्यार में महानगरों को छोडा हमने

और कस्बों की राह ली

अमावस को मिले हम और

आंखों के तारों की रोशनी में

नाद के चबूतरे पर बैठे हमने

दूज के चांद का इंतजार किया

और भैंस की सींग के बीच से

पश्च‍िमी कोने पर डूबते चांद को देखा

हमने सुख की तरह

एक दूसरे का हाथ हाथेां में लिया

और परवाह नही की बटोहियों की

2

कुछ ज्यादा ही

बर्तन मंजे प्यार में

पानी कुछ ज्यादा ही पिया हमने

कई कई बार बुहारा घर को

सबेरे जगे और देर से सोये हम

एक दूसरे को मार दुनिया जहान के

किस्से सुनाये हमने

और इतना हंसे

कि आस पास

प्यार के सुराग में बैठे लोग

भाग गये बोर होकर

3

प्यार में हमने

सबसे उंची चोटी चढी पहाड की

वहां हमने देखा कि पेड

कटकर शहर की राह ले रहे थे

वहां हमें दो सियार मिले

सियारों और पत्थरों को हमने

हरियाली और प्रेम के गीत सुनाये

और धीरे धीरे

उतर आये तलहटियों में।

1997