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"जैविक ख़तरा / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) (हरे टिड्डे, झिंगुर और पतंगे इनमें अाधिकांश का रास्ता वाहन काट जा रहे हैं) |
(कोई अंतर नहीं)
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22:32, 30 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
लैंपपोस्ट के ऊपर के अंधकार में
कीटों पर
झपाटे मार रहे हैं चमगादड
और पोल से लगे तार पर बैठा उल्लू
लपकने की तैयारी में है उन्हें
लैंपपोस्ट को छूती रोशनी
जहां छू रही है अंधेरे की चादर
वही एक बिल्ली चिपकी पडी है
पोस्टर सी
ओर गाडियां गुजर रही हैं ऊपर से
शायद अपना ही रास्ता
काट गयी थी बिल्ली
और उसकी हड्डियों का मलबा
समतल हो गया था सडक की खांचों में
रोशनी के साथ
कीडे भी झार रहे हें सडक पर
हरे टिड्डे, झिंगुर और पतंगे
इनमें अाधिकांश का रास्ता
वाहन काट जा रहे हैं
वाहनों की मार से बचता-बचाता
एक अघोरी कुत्ता
छिपकली सा
चट कर जा रहा है यह जैविक कचरा।
1995