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"रात की नदी / प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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21:16, 18 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

वहाँ रात के उत्कर्ष में
मैंने उसके फूल तोड़े
फूल का करूँ क्या?

दुविधा से रात की नदी फूटती
फूल रात का
नदी में विसर्जित कर देता था

एक नक्षत्र के आलोक में
दृश्य दीखता-
नदी में विसर्जित करते
पुष्प-सा, मैं विसर्जित होता था

मैं नदी में डूबता
जल के भीतर रात का आकाश चमकता
फूटता वहाँ से रोशनी का दरिया
उमड़ती रोशनी मूसलाधार
जल-भीतर में डूबता, ऊपर भीगता बादलों की बारिश में
जल और प्यास अँजुरि भर-भर पीता था

रात की रोशनी का उफ़नता दरिया
रात की देह में बहता था!