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"नीड़ बुलाए / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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अब तो वापस आओ पंछी
+
मंगल पाखी
तुझको नीड़ बुलाए
+
वापस आओ
 +
सूना नीड़ बुलाए
  
खेत-खेत में सरसों फूली
+
फूली सरसों
डाल-डाल पर कलियाँ झूलीं
+
खेत हमारे
बाग-बगीचे मोर नाचते
+
रंगहीन है
मैना शोर मचाए
+
बिना तुम्हारे
  
आँचल माँ का तुझको हेरे
+
छत पर मोर
रुनझुन बिछुआ तुझको टेरे
+
नाचने आता
नन्हा मोती आँगन-चौरे
+
सुगना शोर मचाए
अपना राग सुनाए
+
  
झील नज़र की धीरज खोती
+
आँचल-धानी
मौन लहर यादों को ढोती
+
तुमको हेरे
गुमसुम द्वारे पेड़ पुराना
+
रुनझुन पायल
तेरी आस लगाए
+
तुमको टेरे
 +
 
 +
दिन सीपी के
 +
चढ़ आये हैं
 +
मोती हूक उठाए
 +
 
 +
ताल किनारे
 +
हैं तनहा हम
 +
हंस पूछते
 +
क्यों आँखें नम
 +
 
 +
द्वार खड़ा जो
 +
पेड़ आम का
 +
बहुत-बहुत कड़ुवाए
 
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14:18, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

मंगल पाखी
वापस आओ
सूना नीड़ बुलाए

फूली सरसों
खेत हमारे
रंगहीन है
बिना तुम्हारे

छत पर मोर
नाचने आता
सुगना शोर मचाए

आँचल-धानी
तुमको हेरे
रुनझुन पायल
तुमको टेरे

दिन सीपी के
चढ़ आये हैं
मोती हूक उठाए

ताल किनारे
हैं तनहा हम
हंस पूछते
क्यों आँखें नम

द्वार खड़ा जो
पेड़ आम का
बहुत-बहुत कड़ुवाए