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"नदिया की लहरें / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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− | आईं हैं नदिया | + | आईं हैं नदिया में |
लहरें | लहरें | ||
अपना घर-वर छोड़ के | अपना घर-वर छोड़ के | ||
+ | जंगल-जंगल | ||
+ | बस्ती-बस्ती | ||
+ | बहतीं रिश्ते जोड़ के | ||
− | + | मीठी यादें उदगम की | |
− | मीठी यादें | + | पानी में घुलती जातीं |
− | उदगम की | + | सूरज की किरणें-कलियाँ |
− | पानी में घुलती जातीं | + | |
− | सूरज की किरणें-कलियाँ | + | |
लहरों पर खिलती जातीं | लहरों पर खिलती जातीं | ||
− | वर्तमान के | + | वर्तमान के |
− | होंठ चूमती | + | होंठ चूमती |
− | मुँह अतीत से मोड़ के | + | मुँह अतीत से मोड़ के |
− | + | ||
− | + | ||
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+ | बहती धारा में हर पत्थर- | ||
+ | का भी बहते जाना | ||
+ | प्यास बुझाना तापस की | ||
+ | सीखा खुद जलते जाना | ||
− | चाहा कब प्रतिदान | + | चाहा कब प्रतिदान |
लहर ने | लहर ने | ||
− | दरकी धरती | + | दरकी धरती बोर के |
− | मीलों लम्बा अभी सफ़र | + | मीलों लम्बा अभी सफ़र |
साँसें हैं कुछ शेष बचीं | साँसें हैं कुछ शेष बचीं | ||
− | बाकी है उत्साह अभी | + | बाकी है उत्साह अभी |
थोड़ी-सी है कमर लची | थोड़ी-सी है कमर लची | ||
− | वरण करेंगी | + | वरण करेंगी |
− | कभी सिन्धु का | + | कभी सिन्धु का |
पूर्वाग्रह सब तोड़ के | पूर्वाग्रह सब तोड़ के | ||
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14:22, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
आईं हैं नदिया में
लहरें
अपना घर-वर छोड़ के
जंगल-जंगल
बस्ती-बस्ती
बहतीं रिश्ते जोड़ के
मीठी यादें उदगम की
पानी में घुलती जातीं
सूरज की किरणें-कलियाँ
लहरों पर खिलती जातीं
वर्तमान के
होंठ चूमती
मुँह अतीत से मोड़ के
बहती धारा में हर पत्थर-
का भी बहते जाना
प्यास बुझाना तापस की
सीखा खुद जलते जाना
चाहा कब प्रतिदान
लहर ने
दरकी धरती बोर के
मीलों लम्बा अभी सफ़र
साँसें हैं कुछ शेष बचीं
बाकी है उत्साह अभी
थोड़ी-सी है कमर लची
वरण करेंगी
कभी सिन्धु का
पूर्वाग्रह सब तोड़ के