भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में / 'अना' क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अना' क़ासमी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> दिल की हर धड़कन …)
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
कुछ रहीने मय<ref>शराब की अहसानमंद</ref> नहीं मस्ते ख़राम,
 
कुछ रहीने मय<ref>शराब की अहसानमंद</ref> नहीं मस्ते ख़राम,
 
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
 
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
 +
 +
यार किहकर मेरी सिगरेट खेंच ली
 +
किस क़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील में ।
  
 
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
 
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,

15:07, 23 नवम्बर 2014 का अवतरण

दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में ।
वो ज़िले में और हम तहसील में ।

उसकी आराइश<ref>शृंगार</ref> की क़ीमत कैसे दूँ,
दिल को तोला नाक की इक कील में ।

कुछ रहीने मय<ref>शराब की अहसानमंद</ref> नहीं मस्ते ख़राम,
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।

यार किहकर मेरी सिगरेट खेंच ली
किस क़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील में ।

यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
लड़कियों ने पाँव डाले झील में ।

उम्र अदाकारी में सारी कट गई,
इक ज़रा से झूठ की तावील<ref>बात घुमाना</ref> में ।

आप कहकर देखिएगा तो हुज़ूर,
सर है ह़ाज़िर हुक्म की तामील में ।

सैकड़ों ग़ज़लें मुकम्मल हो गईं,
इक अधूरे शेर की तकमील<ref>पूरा करने की कोशिश</ref> में ।

शब्दार्थ
<references/>