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"नज़्म 4 / सईददुद्दीन" के अवतरणों में अंतर
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मैं उसे बुलाता हूँ | मैं उसे बुलाता हूँ |
21:04, 13 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
मैं उसे बुलाता हूँ
और वो आ जाता है
मेरी किताबों के वरक़ उलट पलट करता है
फिर वो मेरी मेज़ पर पाँव रख कर
उस की माँ ने भी उस के साथ सही सुलूक किया था
और उस की माँ के साथ
और उस की माँ ने भी
तो क्या तुम ने अपनी माँ को मुआफ़ कर दिया था ?
और क्या लौट के आने वाली माँ
पहले वाली माँ ही थी ?
मेरे सवालात पर मेरी माँ की नज़रें झुक गई थीं
हमें जन्म देने वाली माएँ
और हमारी परवरिश करने वाले बाप
एक दिन हम से झूठ बोल कर निकालते हैं
और जब वो लौट कर आते हैं
तो वो वो नहीं होते
हमारे सवालात पर
उन की निगाहें नीची होती हैं
आज मैं अपने बच्चे से झूठ बोल कर घर से निकला हूँ
और बस क्या बताऊँ
मैं अपने घर का रास्ता भूल गया हूँ