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"मुझे लगता है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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05:51, 6 जनवरी 2008 के समय का अवतरण

मुझे लगता है कोई बुलाता है

मैं क्या करुँ

साँझ पड़ते ही मन में प्रतीक्षा सी

आ जाती है

कोई आएगा कोई आएगा

पर आती है

सुनसान अँधेरी रात

तिमिर छा जाता है

बैठे बैठे उदासी जी की

कहाँ खो जाती है

मेरे मन की मलिनता हँसी

की लहर धो जाती है

फिर लगता है

अब आया सलोना

प्रभात जगत जग जाता है


(रचना-काल - 23-7-56)