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"नश्शा-हा शादाब-ए-रंग ओ साज़-हा मस्त-ए-तरब / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर
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शा-ए-मय सर्व-ए-सब्ज़-जू-ए-बार-ए-नग़्मा है | शा-ए-मय सर्व-ए-सब्ज़-जू-ए-बार-ए-नग़्मा है | ||
15:07, 21 जनवरी 2015 का अवतरण
नश्शा-हा शादाब-ए-रंग ओ साज़-हा मस्त-ए-तरबशी
शा-ए-मय सर्व-ए-सब्ज़-जू-ए-बार-ए-नग़्मा है
हम-नशीं मत कह कि बरहम कर न बज़्म-ए-ऐश-ए-दोस्त
वाँ तो मेरे नाले को भी ए‘तिबार-ए-नग़्मा है