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"अस्थि के अंकुर. / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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मौन में जो गीत तुमने भर दिए थे | मौन में जो गीत तुमने भर दिए थे |
09:22, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण
मौन में जो गीत तुमने भर दिए थे
कभी गाए हुए बीते किसी युग में
वे पुरानी हड्डियों से निकल आए
फोड़ कनखे
नए युग के मौर बन कर