भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ग्रिस्थी / मोहन पुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन पुरी |संग्रह=मंडाण / नीरज दइय...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] | ||
{{KKCatRajasthaniRachna}} | {{KKCatRajasthaniRachna}} | ||
− | |||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem>ऊनाळा रा दिनां में | <poem>ऊनाळा रा दिनां में |
20:49, 29 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
ऊनाळा रा दिनां में
डोकरी
हेर्या, सूई-डोरा
अर त्यार करण लागी
फाटा गूदड़ा-कोथळ्यां।
डोकरा री फाटी
धोतियां नैं सींव’र
काढ़ द्या कानड़ा....
नान्या री पैंटां रै
लगा दी भांत-भांत री कार्यां
बूढी आंख्यां रो ग्रिस्थी पे पहरो है
ओ ई ठाला दिनां रो धारो है।