भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैंने देखा / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:16, 9 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
मैंने देखा
दिन का शीशा :
मुझ से बड़ा
पक कर
खड़ा है मेरा बोया
अनाज
बड़ा ख़ुश हूँ मैं आज
(रचनाकाल : 25.10.1965)
