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"मैं हूँ / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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मौत जिसे पाएगी
  
 
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जीवन से लिखी ।
 
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मैं हूँ
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माँस-पिंड में बंधा
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अपनी जेल
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कोई दूसरी नहीं है मेरी जेल
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(रचनाकाल :6.11.1967)
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00:18, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

मैं हूँ

आग और बर्फ़ की वसीयत

मौत जिसे पाएगी

जीवन से लिखी ।