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"दरसाव थारै जीव रौ / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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कदे कदे
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जद म्हैं थारै
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नैड़ो आय’र
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म्हारी आंख्यां बन्द करूं
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तो म्हनै दीसै
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दरसाव थारै हिरदै रौ
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इयां लागै
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जाणें एक पांखी
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फड़फड़ीजतौ
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ठा‘नीं क्यूं छटपटावतौ
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बिना सगती रै
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बार बार खड़ौ हुय
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चक्कर काटतौ
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एक सुखै ठूंठ रौ।
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फेर पड़ जांवतौ
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घणी ताळ
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ठूंठ रै ऊपर
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घूमतां घूमतां
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अचाणक
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तड़ाछ खाय’र
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आय पड़ै नीचै
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धरती पर अर की देर बाद
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हुय जावै
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एक दम षांत
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फेर नीं काटै चक्कर
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बो ठूंठड़ै रै च्यांरूमेर
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म्हे उण बखत
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थारै हिरदै रौ दरसाव
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देखणौ बन्द कर
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देखण लाग जावूं
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थारै मूण्डै खांनी
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क्यूं के उण बखत
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झरता हुवै आंसू
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थारै नैणां सूं
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टप...टप...टप...।
 
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22:29, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

कदे कदे
जद म्हैं थारै
नैड़ो आय’र
म्हारी आंख्यां बन्द करूं
तो म्हनै दीसै
दरसाव थारै हिरदै रौ
इयां लागै
जाणें एक पांखी
फड़फड़ीजतौ
ठा‘नीं क्यूं छटपटावतौ
बिना सगती रै
बार बार खड़ौ हुय
चक्कर काटतौ
एक सुखै ठूंठ रौ।
फेर पड़ जांवतौ
घणी ताळ
ठूंठ रै ऊपर
घूमतां घूमतां
अचाणक
तड़ाछ खाय’र
आय पड़ै नीचै
धरती पर अर की देर बाद
हुय जावै
एक दम षांत
फेर नीं काटै चक्कर
बो ठूंठड़ै रै च्यांरूमेर
म्हे उण बखत
थारै हिरदै रौ दरसाव
देखणौ बन्द कर
देखण लाग जावूं
थारै मूण्डै खांनी
क्यूं के उण बखत
झरता हुवै आंसू
थारै नैणां सूं
टप...टप...टप...।