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"आ बीमारी नीं है / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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म्है नीं जाणूं
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अर गिन्दलै पांणी में
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की बखत
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लैरावतै रैवण सूं
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म्हांनै क्यूं लागै
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अर ठा नीं क्यूं
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इयां लागै
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के बिरखा में भीज’र
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म्हे कर रह्या हां निभाव
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माइतां री
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किणी परम्परा रौ।
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अबै सायत आप जाणसौ
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दिमागी बीमारी है
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हुवणै ने सारयक।
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आप नीं मानौला
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के म्हे तळाव रै तळै में
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बार बार जाय’र सोधा बो
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जकौ बठै नीं है
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अर हुय भी नीं सकै।
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या बिरखा में भीज’र
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म्हनै बो आनन्द आवै
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जकौ स्टैनलैस स्टील रै
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फव्वारै में
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आवणौ चाहिजै
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बो ही’ज फव्वारौ
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जकै ने आपरै
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न्हावण घर में लगावण री हिम्मत
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नीं जुटा पायौ है
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म्हां मां सूं
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कोई भी ओजूं तांई
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आप ठीक कैवो
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के सूगळै पाणी सूं
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खाज खुजळी
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पचिया फोड़ा हुय सकै
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अर तळाब मे तो
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किण ‘चीज’ री कमी हुवै?
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आप री बात सीर माथै
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के घर रौ पाणी हुवै
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सांतरौ, निरमळ
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अर निराग
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साथै ही मीठौ भी
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पण हर रोज नीं तो
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कदे कदास
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तळाव अर बिरखा
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बण जावै
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म्हांरी कमजोरी।
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अरदास है
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बुरौ ना मान्या
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म्हे बिरखा में भीजसां
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तळाब में न्हांसा
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बस।
 
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22:35, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

म्है नीं जाणूं
के तळाव रै सड्योडै़
अर गिन्दलै पांणी में
की बखत
लैरावतै रैवण सूं
म्हांनै क्यूं लागै
के जाणै सौ कीं पा लियौ हुवै
अर ठा नीं क्यूं
इयां लागै
के बिरखा में भीज’र
म्हे कर रह्या हां निभाव
माइतां री
किणी परम्परा रौ।
अबै सायत आप जाणसौ
के आ कोई
दिमागी बीमारी है
नई सा आप गलत जाणयो
म्हे पूरी सावचेती में करां आ बात
क्यूं के म्हे करणौ चावां
बिरखा अर तळाव रै
हुवणै ने सारयक।
आप नीं मानौला
के म्हे तळाव रै तळै में
बार बार जाय’र सोधा बो
जकौ बठै नीं है
अर हुय भी नीं सकै।
या बिरखा में भीज’र
म्हनै बो आनन्द आवै
जकौ स्टैनलैस स्टील रै
फव्वारै में
आवणौ चाहिजै
बो ही’ज फव्वारौ
जकै ने आपरै
न्हावण घर में लगावण री हिम्मत
नीं जुटा पायौ है
म्हां मां सूं
कोई भी ओजूं तांई
आप ठीक कैवो
के सूगळै पाणी सूं
खाज खुजळी
पचिया फोड़ा हुय सकै
अर तळाब मे तो
किण ‘चीज’ री कमी हुवै?
आप री बात सीर माथै
के घर रौ पाणी हुवै
सांतरौ, निरमळ
अर निराग
साथै ही मीठौ भी
पण हर रोज नीं तो
कदे कदास
तळाव अर बिरखा
बण जावै
म्हांरी कमजोरी।
अरदास है
बुरौ ना मान्या
म्हे बिरखा में भीजसां
तळाब में न्हांसा
बस।